रोशनी के रंग, हर दिल में उमंग - दीपावली की कहानी - Colors of light, joy in every heart - Diwali story
दीपावली का त्योहार: एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व"
भारत देश में त्यौहारों का विशेष महत्व है और दीपावली उन प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ है 'दीयों की पंक्ति' और इस पर्व को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दीपावली का यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, और इस दिन को लेकर कई धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताएँ भी जुड़ी हुई हैं।
दीपावली का धार्मिक महत्व
दीपावली का सबसे प्रचलित और मुख्य कारण भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर जब अयोध्या वापस लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीयों से सजाया था और खुशियाँ मनाई थी। इसी प्रसंग को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था और समुद्र मंथन के दौरान वे क्षीरसागर से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है।
जैन धर्म में भी इस दिन का महत्व है। भगवान महावीर ने इसी दिन निर्वाण प्राप्त किया था, इसलिए जैन धर्मावलंबी इसे महावीर निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं। सिख धर्म में भी दीपावली का विशेष स्थान है, इस दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दीयों की जगमगाहट होती है और इसे बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है।
दीपावली का सांस्कृतिक महत्व
दीपावली न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, पेंटिंग, रंगोली और सजावट करते हैं। माना जाता है कि दीपावली के दिन माता लक्ष्मी केवल स्वच्छ और सुंदर घरों में प्रवेश करती हैं। इसलिए लोग अपने घरों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं। इसके अतिरिक्त, सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, और पूरे परिवार के साथ मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
दीपावली का एक प्रमुख आकर्षण रंगोली बनाना भी है। लोग अपने घरों के आंगन और दरवाजे पर रंगोली बनाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। रंगोली विभिन्न रंगों और आकृतियों से बनाई जाती है और यह दीपावली के उत्सव में एक नया रंग जोड़ती है। रंगोली के साथ ही दीपों से घरों को सजाना, लक्ष्मी पूजन, पटाखे जलाना, और परस्पर बधाई देना दीपावली की परंपराओं का हिस्सा है।
दीपावली का सामाजिक पहलू
दीपावली केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि एक सामूहिक पर्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं, और हर किसी के साथ खुशियाँ बाँटते हैं। साथ ही, यह त्योहार हमें आपसी सौहार्द्र, प्रेम, और भाईचारे का संदेश भी देता है। इस दिन विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है ताकि उनके जीवन में भी रोशनी और खुशियाँ लाई जा सके।
दीपावली पर पटाखों का भी विशेष महत्व रहा है, लेकिन वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए कम पटाखे जलाने का आग्रह किया जाता है। आज के दौर में दीपावली का एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश यह भी है कि हम प्रदूषण कम करें और पर्यावरण का ध्यान रखें। कई जगहों पर लोग इस दिन परंपरागत दीयों को जलाकर और हरियाली की रक्षा कर उत्सव मनाते हैं।
लक्ष्मी पूजन और परंपराएं
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। शाम के समय लोग पूरे परिवार के साथ लक्ष्मी पूजन करते हैं। माना जाता है कि लक्ष्मी पूजन से घर में धन, वैभव, और खुशहाली आती है। लक्ष्मी जी के साथ-साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है, क्योंकि गणेश जी को शुभ और मंगल का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी पूजन के बाद लोग दीप जलाकर अपने घरों के बाहर रखते हैं ताकि अंधकार दूर हो और हर ओर प्रकाश फैले।
दीपावली का पांच दिवसीय उत्सव
दीपावली का उत्सव केवल एक दिन तक सीमित नहीं होता बल्कि यह एक पांच दिवसीय पर्व है। इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है, जिसमें लोग सोना, चाँदी, या धातु से बने बर्तन खरीदते हैं। इसके बाद नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली आती है, जिसमें लोग अपने घरों में दीये जलाकर नरकासुर के वध का उत्सव मनाते हैं। तीसरे दिन मुख्य दीपावली का पर्व होता है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है। अंतिम दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
आधुनिक युग में दीपावली का महत्व
आज के समय में दीपावली केवल धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को जोड़ने का एक अवसर बन गई है। इस दिन सभी अपने पुराने विवादों और मतभेदों को भूलकर एक साथ मिलते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन हमें प्रेम, भाईचारे, और एकता का पाठ पढ़ाता है। हालांकि, आधुनिक युग में दीपावली के उत्सव में कई तरह के बदलाव भी आए हैं। लोग अब पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने का प्रयास करते हैं। साथ ही, लोग इलेक्ट्रॉनिक दीयों और सजावट का उपयोग कर रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
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